NIOS हिंदी Hindi 301 Solved Assignment 2021 – 22 Free Class 12th

 हिंदी Hindi 301 NIOS Free Solved Assignment 2021 – 22 Class 12th

Tutor Marked Assignment

Subject : Hindi

NIOS Senior Secondary, NIOS Free Solved Assignment 2021 – 22 Senior Secondary

हिंदी Hindi 301 NIOS Free Solved Assignment 2021 – 22

 हिंदी Hindi 301 NIOS Free Solved Assignment 2021 – 22

1. निम्नलिखित प्रश्नों में से किसी एक प्रश्न का उत्तर लगभग 40 – 60 शब्दों में दीजिए।      2

(क) मीरा ने अपने पद में चातक और मछली से स्वयं की तुलना की है। एक अन्य उदाहरण द्वारा आप भक्ति की भावना को प्रस्तुत कीजिए। (पाठ – 4 देखें)

उत्तर: मीरा ने अपने पद में विरह—वेदना की आंतरिक अनुभूति को अत्यंत मार्मिक ढंग से व्यक्त किया गया है। आप जानते ही होंगे कि जब हमारा प्रिय व्यक्ति हमसे दूर होता है तो हमारा मन उससे मिलने के लिए कितना बेचैन होता है।  इस  बेचैनी की तीव्रता को ठीक—ठीक बयान कर पाना बहुत कठिन होता है। मीरा ने चातक और मछली के माध्यम से  विरह से त्रास्त व्यक्ति की मनोदशा का अत्यंत सुंदर चित्राण किया है। जैसे चातक बादल की ओर एक टक द ष्टि लगाए रहता है और मछली पानी के बिना नहीं रह पाती, तड़पती रहती है, ठीक उसी प्रकार मीरा अपने प्रियतम के लिए तड़पती है और प्रिय के वियोग में मीरा अत्यंत व्याकुल हो गई है |

(ख) ‘तुलसीदास ने मानवीय संबंधों का आदर्श प्रस्तुत किया है।’ सिद्ध कीजिए। (पाठ – 3 देखें)

उत्तर: किसी एक प्रश्न का उत्तर दीजिए

2. निम्नलिखित प्रश्नों में से किसी एक प्रश्न का उत्तर लगभग 40 – 60 शब्दों में दीजिए। 2

(क) बिहारी के दोहे में मनुष्य के व्यवहार पर धन के कुप्रभाव को किस प्रकार अभिव्यक्त किया गया है? स्पष्ट कीजिए। (पाठ – 11 देखें) 

उत्तर: बिहारी के दोहे में कवि कहता है कि धन में धतूरे से सौगुना अधिक नशा होता है, क्योंकि धतूरे के तो खाने से आदमी मदहोश होता है जबकि धन के मिलने पर उसकी स्थिति इससे भी बुरी हो जाती है, अर्थात् धन की मादकता इसलिए अधिक है क्योंकि उसका प्राप्त होना ही सिर चढ़कर बोलने लगता है, जबकि मादक द्रव्य तो सेवन करने पर ही (और वह भी थोड़े समय के लिए) आदमी का सिर घुमाते हैं। अतः धन का नशा अन्य सभी नशों से अधिक और खतरनाक होता है। मादक पदार्थों का नशा उन्हें सेवन करने के कुछ समय बाद उतर जाता है किंतु धन का नशा बना ही रहता है और जीवन की अन्य गतिविधियों पर उसका चढ़ा हुआ रंग तरह-तरह से दिखाई देता है।

(ख) ‘वह तोड़ती पत्थर’ कविता के अंत में ‘मैं तोड़ती पत्थर’ के प्रयोग का क्या आश्य है? (पाठ -13 देखें)

उत्तर: किसी एक प्रश्न का उत्तर दीजिए

3. निम्नलिखित प्रश्नों में से किसी एक प्रश्न का उत्तर लगभग 40 – 60 शब्दों में दीजिए।      2

(क) ‘पीढ़ियाँ और गिटिटयाँ’ वास्तव में साहित्य क्षेत्र में वृद्धों और युवकों की मानसिकता को हमारे समक्ष प्रस्तुत करती है।’ इस कथन को स्पष्ट कीजिए। (पाठ -17 देखें)

उत्तर: किसी एक प्रश्न का उत्तर दीजिए

(ख) ‘कुटज अपने मन पर सवारी करता है, मन को अपने पर सवार नहीं होने देता। मनस्वी मित्र, तुम धन्य हो।’ इस कथन को स्पष्ट कीजिए। (पाठ -18 देखें)

उत्तर: दुख और सुख तो मन के विकल्प हैं। सुखी वह है जिसका मन वश में है, दुखी वह है जिसका मन परवश है। परवश होने का अर्थ है खुशामद करना, दाँत निपोरना, चाटुकारिता, हाँ—हजूरी। जिसका मन अपने वश में नहीं है वही दूसरे के मन का छंदावर्तन करता है, अपने को छिपाने के लिए मिथ्या आडंबर रचता है, दूसरों को फसाने के लिए जाल बिछाता है। कुटज  इन सब मिथ्याचारों से मुक्त है। वह वशी है। वह वैरागी है। राजा जनक की तरह संसार में रहकर, संपूर्ण भोगों को भोगकर भी उनसे मुक्त है। जनक की ही भाँति वह घोषणा करता है ‘मै स्वार्थ के  लिए अपने मन को सदा दूसरे के मन में घुसाता नहीं फिरता, इसलिए मैं मन को जीत सका हूँ, उसे वश में कर सका हू |

4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 100 – 150 शब्दों में दीजिए।         4

(क) ‘जिजीविषा की विषय’ पाठ से आपको क्या संदेश मिलता है? उल्लेख कीजिए। (पाठ – 28 देखे) 

उत्तर: किसी एक प्रश्न का उत्तर दीजिए

(ख) “दो कलाकार” पाठ के संदर्भ में अपने विचार प्रगट करते हुए स्पष्ट कीजिए कि मनुष्य जीवन में सबसे बड़ी कला कौन सी है और क्यों? (पाठ – 8 देखें)

उत्तर: दो कलाकार, मन्नू भंडारी जी द्वारा लिखी गयी प्रसिद्ध कहानी है .प्रस्तुत कहानी के माध्यम से लेखिका ने दो छात्राओं चित्रा और अरुणा के जीवन और उनके जीवन की प्रति दृष्टि को प्रस्तुत किया है. इन पात्रों के माध्यम से लेखिका ने यह स्पष्ट करना चाहा है कि जीवन में एक सच्चे कलाकार की क्या पहचान होती है. दोनों ही सहेलियाँ अलग – अलग रास्ते पर चलती हुई आगे बढती है एक प्रसिद्धी और धन कमा रही है तथा दूसरी आत्मतोष इनके माध्यम से मन्न भंडारी ने समझाना चाहा है कि परोपकार का जीवन जीने वाला मनुष्य ही सच्चा मनुष्य है और वही जीवन का सच्चा कलाकार है इस रूप में अरुणा सार्थक कलाकार के रूप में सामने आती है.

कहानीकार ने चित्रा और अरुणा माध्यम से समाज-सेवा को सहज रूप से उत्तम सिद्ध करना चाहा, और बताया कि मानवीय संवेदनाओं से भरा व्यक्ति ही सच्चा कलाकार हो सकता है। ‘किस काम की ऐसी कला जो आदमी को आदमी न रहने दे’, ‘दुनिया की बड़ी से बड़ी घटना भी इसे आंदोलित नहीं करती, जब तक उसमें कला के लिए कोई स्थान न हो’ जैसे संवादों से कहानीकार ने अपने उद्देश्य को स्पष्ट किया है और सहज रूप से आई घटनाओं, चरित्रों तथा संवादों के माध्यम से अपने उद्देश्य प्राप्त करने में सफलता पाई है।

5. निम्नलिखित प्रश्नों में से किसी एक प्रश्न का उत्तर लगभग 100 – 150 शब्दों में दीजिए। 

(क) टिप्पण की किन्हीं चार विशेषताओं का वर्णन कीजिए। (पाठ – 21 देखें) 

उत्तर: टिप्पण‘ अथवा ‘टिप्पणी‘ अंग्रेज़ी शब्द नोटिंग का पर्याय है। ‘टिप्पण‘ शब्द का सामान्य अर्थ किसी मामले में राय या सम्मति देना होता है। लेकिन कार्यालयी हिंदी में इसका अर्थ बाहर से आने वाले पत्रों या प्रशासनिक मामलों पर कार्रवाई करने के उद्‌देश्य से फाइल पर टिप्पण लिखना होता है।

) स्पष्टता: टिप्पण जितना स्पष्ट रूप से लिखा जाए उतना उचित होता है. टिप्पण लिखते समय शब्दों या वाक्यों का अनुचित और भ्रामक इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। जटिल से जटिल और भ्रामक विषयो को भी स्पष्टता के साथ बोधगम्य रीति से प्रस्तुत किया जाना चाहिए।

) संक्षिप्तता: कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक आशय व्यक्त करना टिप्पण का मुख्य उद्देश्य होता है | टिप्पण को हमेशा स्पष्ट और सीधे ढंग से लिखना चाहिए ताकि पढ़ने वाले भ्रमित न हो और उसे आसानी से समझ जाए |

) भाषा: टिप्पण की भाषा सरल, स्पष्ट तथा संयत होनी चाहिए। टिप्पणी में कहावतों तथा मुहावरों का प्रयोग न करके विचारों तथा तथ्यों को वास्तविक रूप में प्रस्तुत किया जाना चाहिए । टिप्पण में ऐसे शब्दों का इस्तेमाल भी नहीं करना चाहिए जिसे कि अर्थ-विषयक भ्रम पैदा हो।

) क्रमबध्दता: टिप्पण को हमेशा क्रमबद्ध और श्रृंखलाबद्ध तरीके से लिखना चाहिए | आशय के आकलन के लिए टिप्पण में क्रमबध्दता होना बहुत ही आवश्यक बात है। टिप्पण यदि विस्तृत हो तो उसके प्रथम अनुच्छेद को छोड़कर अन्य अनुच्छेदों को क्रम संख्या में बाँट देना चाहिए प्राधिकारी को विषय के आकलन में काफी सहायता मिलती है।

(ख) कार्यालय पत्राचार के दो रूपों का उल्लेख कीजिए। (पाठ – 21 देखें) 

उत्तर: किसी एक प्रश्न का उत्तर दीजिए

6. नीचे दी गई योजनाओं में से कोई एक परियोजना तैयार कीजिए।     6 

(क) विभिन्न समाचार पत्रों में से किसी एक समाचार को चुनिए और फाइल में उनकी कटिंग चिपकाकर उस समाचार का विश्लेषण अपने शब्दों में लगभग 150 शब्दों में कीजिए। (पाठ – 34 देखें) 

उत्तर: किसी एक प्रश्न का उत्तर दीजिए

(ख) आज का युग तकनीक का युग है। कंप्यूटर और इंटरनेट ने किस प्रकार हिंदी भाषा को प्रभावित किया है? एक चार्ट बनाकर इसे प्रस्तुत कीजिए। (पाठ – 38 देखें)

उत्तर: कम्प्यूटर, लैपटॉप, स्मार्टफोन तथा टैबलेट आदि डिजिटल उपकरण हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा बन चुके हैं। आजकल लगभग इन सभी उपकरणों में हिन्दी में काम करना सम्भव है। भाषाई समर्थन ने तकनीकी विभाजन की दूरी को पाटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। यूनिकोड सिस्टम ने हिन्दी को सभी कम्प्यूटिंग डिवाइसों तक पहुँचा दिया है। यूनिकोड सिस्टम के कारण कम्प्यूटर पर हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषाओं में काम करना अंग्रेजी जैसा ही सरल हो गया है। इसी कारण अब इंटरनेट पर हिन्दी चिट्ठों तथा वेबसाइटों की भरमार है।

ऑपरेटिंग सिस्टमों की बात करें तो माइक्रोसॉफ्ट विण्डोज़, लिनक्स तथा ऍपल के मॅक ओऍस आदि डैस्कटॉप ऑपरेटिंग सिस्टमों के अतिरिक्त आइओऍस तथा ऍण्ड्रॉइड जैसे मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टमों में भी इण्डिक यूनिकोड का समर्थन आ गया है। कम्प्यूटर पर ऑफिस सुइट जैसे माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस, लिब्रेऑफिस इत्यादि में भारतीय भाषाओं में ठीक उसी तरह काम किया जा सकता है जैसे अंग्रेजी में। फलस्वरूप कम्प्यूटर पर भारतीय भाषायें अब केवल टाइपिंग तक सीमित न रहकर शॉर्टिंग, इंडैक्सिंग, सर्च, मेल मर्ज, हैडर-फुटर, फुटनोट्स, टिप्पणियाँ (कमेंट) आदि सब कम्प्यूटरी कार्यों में सक्षम हो गयी हैं। यहाँ तक कि आप फाइलों के नाम भी हिन्दी (या किसी अन्य भारतीय भाषा) में दे सकते हैं।

वर्तमान में विण्डोज़ युक्त कम्प्यूटरों में विण्डोज़ ऍक्सपी और विण्डोज़ ७ की लगभग बराबर हिस्सेदारी है तथा आगामी लगभग पाँच वर्षों में विण्डोज़ ७ विण्डोज़ ऍक्सपी का स्थान ले लेगी। अर्थात आने वाले वर्षों में लगभग सभी कम्प्यूटरों में हिन्दी समर्थन पूरी तरह अन्तर्निर्मित होगा। प्रकाशन उद्योग द्वारा अत्यधिक उपयोग किये जाने वाले ग्राफिक्स तथा डीटीपी पैकेजों फोटोशॉप, कोरलड्रॉ तथा इनडिजाइन आदि में हिन्दी यूनिकोड समर्थन आने से भविष्य में प्रकाशन उद्योग भी यूनिकोड को अपनायेगा। यूनिकोड के प्रति बढ़ती जागरुकता और प्रकाशन के सॉफ्टवेयर पैकेजों के यूनिकोड मित्र संस्करण आने के मद्देनजर इस दशक के अन्त तक कम्प्यूटर और इंटरनेट पर सारा कार्य यूनिकोड हिन्दी में होने लगेगा।

इंटरनेट पर भी अब अन्तर्राष्ट्रीय वर्ण-कूट मानक यूनिकोड खूब लोकप्रिय हो रहा है और सभी प्रमुख वेबसाइटें जैसे गूगल, विकिपीडिया आदि इसे अपना चुकी हैं। यूनिकोड आधारित वेबसाइटों को देखने के लिये पाठक के पास सम्बन्धित फॉण्ट होने की अनिवार्यता भी नहीं है। अगर कोई वेबसाइट यूनिकोड में है तो उसे किसी भी यूनिकोड सक्षम कम्प्यूटर पर देखा जा सकता है। यूनिकोड की लोकप्रियता संसार भर में दिन-दूनी रात-चौगुनी बढ़ती जा रही है तथा इसके साथ ही हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषाओं में भी वेबसाइट, ब्लॉग, ऑनलाइन वेब आधारित औजारों/उपकरणों/सुविधाओं का प्रयोग धड़ाधड़ बढ़ता जा रहा है। ईमेल में सीधे हिन्दी में सम्प्रेषण किया जा रहा है। मोबाइल फोन पर भी हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषाओं में संक्षिप्त सन्देश (SMS) तथा इंटरनेट संचार किया जाने लगा है।

हिन्दी संगणन सम्बन्धी सॉफ्टवेयर औजारों की बात करें तो हिन्दी टंकण, मशीनी लिप्यन्तरण, मशीनी अनुवाद, शब्दकोष, वर्तनी जाँच, पाठ से वाक् तथा फॉण्ट परिवर्तक आदि तन्त्र लगभग पूरी तरह सुलभ हो चुके हैं। ओसीआर तथा श्रुतलेखन (वाक् से पाठ) के क्षेत्र में और विकास की आवश्यकता है। ये हिन्दी सामग्री के डिजिटलीकरण हेतु दो सबसे महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयर हैं। विभिन्न प्रोग्रामिंग भाषायें और डाटाबेस भी हिन्दी समर्थन युक्त हैं। मॅक ओऍस को छोड़कर अधिकतर ऑपरेटिंग सिस्टमों का हिन्दीकरण हो चुका है। मोबाइल प्लेटफॉर्मों तथा उपकरणों पर भी हिन्दी सुलभ होती जा रही है। कुल मिलाकर हिन्दी कम्प्यूटिंग का अब तक का विकास सन्तोषपूर्ण है तथा भविष्य सही दिशा में है।

NIOS SOLVED ASSIGNMENTS FOR 2021 – 2022 (Hindi Medium)

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